भगवद गीता का शाब्दिक अर्थ है ‘प्रभु का गीत’। पाठ धर्म शब्द से शुरू होता है और शब्द शब्द मामा से समाप्त होता है। मामा का अर्थ है ‘मेरा’ और धर्म, ‘आवश्यक होना’। साथ में उनका मतलब है ‘मेरा आवश्यक होना’। यह गीता के विषय को दर्शाता है। जीवन का उद्देश्य है कि किसी के आवश्यक होने का एहसास करना भीतर परम आत्म की खोज करना। आध्यात्मिक ज्ञान को बनाए रखें।
भगवद् गीता एक 700-श्लोक वाला हिंदू ग्रंथ है, जो एक कथा प्रारूप में हिंदू धर्म और योग की कई प्रमुख दार्शनिक अवधारणाओं का संश्लेषण प्रदान करता है। यह भारत की सबसे प्रसिद्ध महाकाव्य कविताओं में से एक, महाभारत की छठी पुस्तक है।
यह पाठ निःस्वार्थता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, दिव्य के साथ दुख, आत्म-साक्षात्कार और संबंध से मुक्ति के लिए विभिन्न दृष्टिकोण प्रदान करता है। यह सुझाव दिया जाता है कि क्रिया, भक्ति, स्वाध्याय और ध्यान पूरे ध्यान और जागरूकता के साथ हृदय से किया जाता है।
गीता आपके भीतर सकारात्मक और नकारात्मक प्रवृत्तियों को प्रकाश में लाती है। वे आपकी उच्च आकांक्षाएं हैं और जीवन में कम इच्छाएं हैं जो आपके विकास या विचलन को प्रभावित करती हैं। इसका पवित्र दर्शन आपको इच्छा पर विजय पाने और सर्वोच्च स्व को पुनः प्राप्त करने में मदद करता है। ईश्वरत्व की स्थिति। पुस्तक में पाठ, लिप्यंतरण, शब्द-अर्थ, अनुवाद और टिप्पणी शामिल हैं। एक उपयोगी योगदान प्रत्येक अध्याय का विषय-वार विभाजन है जो आपको विचार-प्रवाह और उसमें संदेश को पकड़ने में मदद करता है।
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